*सहरिया क्रांति की कई गांवों में लगीं चौपाल
* ड़बिया गांव में व्यसन मुक्ति का संकल्प, समिति गठित
शिवपुरी
स्वतन्त्रता की 71 वीं सालगिरह सहरिया क्रांति ने बड़े ही निराले अंदाज़ में शिवपुरी के दर्जन भर से अधिक गांवों में मनाई। इस महान पर्व के दिन आदिवासियों ने चौपाल लगाकर शोषण और दमन से मुक्ति पाने के लिए सहरिया क्रांति सामाजिक आंदोलन से जुड़ने का संकल्प लिया।
शिवपुरी विकासखंड के ग्राम पंचायत डबिया में विशाल सहरिया चौपाल का आयोजन किया गया , जिसका शुभारम्भ करते हुए ग्राम पंचायत के सरपंच ऊधम आदिवासी ने उपस्थित ग्रामीणों को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारत की आजादी के पहले दिन को याद करने के लिये हम हर साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाते है साथ ही साथ उन सभी महान लोगों याद करते है। जिनके कठिन संघर्षों की वजह से हम अपनी आजादी का उपभोग करने लायक बने है और अपनी इच्छा से खुली हवा में साँस से सकते है।
सहरिया क्रांति के संयोजक संजय बेचैन ने कहा कि आज हमारे आदिवासियों के लिए ही नहीं बल्कि सभी भारतीयों के लिये बहुत महत्वपूर्ण दिन है जिसको हम महान भारतीय नेताओं के बलिदानों को याद करने के लिये मनाते है, जिन्होंने देश की आजादी और और देशवासियों की खुशहाली के लिये अपना जीवन दे दिया। क्रांतिकारियों के बलिदान से ही भारत को आजादी मिल सकी थी। उन्होंने आगे कहा कि देश को आजादी इस कारण मिल सकी क्योंकि उस समय देशवासियों ने परस्पर सहयोग, बलिदान और सहभागिता की । हमें नमन करना चाहिये उन सभी भारतीय नागिरकों को क्योंकि वो असली राष्ट्रीय हीरो थे।
जिस एक जुटता के साथ हमारे देश के क्रांतिकारियों ने संघर्ष और बलिदान देकर भारत को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराया आज उसी अंदाज में सहरिया समाज को फिर एक इकजुट होकर आज़ादी के लिए लड़ना पड़ेगा और ये आज़ादी उस शोषण ,दमन और अत्याचार से लेनी है जो सदियों से सहरिया आदिवासी समाज को अपने आक्टोपसी शिकंजे में जकड़े हुए हैं। संजय बेचैन ने कहा कि अब इस अनादिकाल से चले आ रहे सहरिया आदिवासियों के शोषण और दमन से मुक्ति के लिए ही सामाजिक आंदोलन सहरिया क्रांति छेड़ा गया है जिससे हर आदिवासी को जुड़कर शोषण और दमन से मुक्ति के लिए अहिंसात्मक तरिके से जंग लड़ना है। उनके इतना कहते ही पूरे गाँव के महिला पुरुषों ने अपने हाथ ऊपर कर सहरिया क्रांति से जुड़ने का ऐलान किया।
सहरिया चौपाल को में चर्चा को आगे बढ़ाते हुए कल्याण आदिवासी ने कहा कि गाँव में सहरिया समाज के पिछड़ेपन का असली कारण है तो वो है शराब और व्यसनों में हमारी लिप्तत्ता। इसके कारण समाज के युवा बर्बाद हो रहे हैं साथ ही अकाल मृत्यु को प्राप्त भी हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज से गाँव में नई समिति बनाई जाये एवं व्यसन करने वालों के विरुद्ध कार्यवाही की जावे।
डलयां आदिवासी की इस बात का पूरे गाँव ने समर्थन किया और सात सदस्यीय समिति का गठन किया गया जो अब सहरिया समाज के हित में महत्वपूर्ण निर्णय लेगी इसी के साथ महिलाओं से संबंधित समस्याओं के निराकरण के लिए भी गाँव में 7 सदस्यीय समिति का गठन किया गया है।
कार्यक्रम के अंत में आदिवासियों ने गाँव में प्रभातफेरी निकाली जिसमे भारतमाता की जय एवं सहरिया क्रांति जिन्दावाद के गगनभेदी नारे लगाए गए।
यह लिए निर्णय
- कोई भी व्यक्ति यदि शराब या गांजे का नशा करता पाया गया तो उसको सामाजिक कार्यों में नहीं बुलाया जायेगा ,और आर्थिक दंड भी लगाया जायेगा।
- गाँव में जुआ या सट्टा लगते हुए कोई आदिवासी पाया जाता है तो उस पर आर्थिक दंड एवं समझाइस
- महिलाओं से दुर्व्यवहार करने वाले का सामाजिक बहिष्कार
- बच्चों को विद्यालय न भेजने वाले माता -पिता का सामाजिक कार्यों से बहिष्कार
- कम मजदूरी दर इज कार्य करने जाने वालों पर आर्थिक दंड
- तांत्रिक और ओझाओं के जाल में फंसने और जिला चिकित्सालय में इलाज न करने वालों पर अर्थ दंड
इन गांवों में लगी सहरिया चौपाल
केरउ, विनेगा, बारां, शंकरपुर, मुड़खेड़ा, भानगड़, मामॉनी, कोटा, हथिगड़ा, महुआखेड़ा, वीरपुर, खुटेला, मोहम्मदपुर, रामपुरा, दिदावली, ममौनीकलां, सिलारपुर, अमोला, बैडारी, चकरा, बालापुर, हुसैनपुर, देवपुर, पटेवरी,राजपुर, धर्मपुरा, भेड़ फार्म, हीरापुर, मानकपुर, कैमखेड़ा।
Source : सहरिया क्रांति